मीरा प्रेम दीवानी, प्रेम की अलख जगाये।
त्याग करे सब राजसी, कष्ट सहे, सुख पाये ।।
वीणा बाजे राग सुनाये, नाद से मोहित मृग चला आये ।त्याग करे सब राजसी, कष्ट सहे, सुख पाये ।।
नाद प्रेम में जाल फ़ँसे, प्रान गमा सुख पाये ।।
दीप प्रकाशित, प्रेम आकर्षित, चुम्बन लेने पतंगा आये ।
जलकर तभी भस्म हो जाये, देह त्याग सुख पाये ।।
शशि गर्व में चूर, चातक प्रेमी आश लगाये ।
शशि समझ अंगारा लिपटे, शरीर त्याग, सुख पाये ।।
उदित रवि खिलजाये कमल, प्रेमी फ़ूला नहीं समाये ।
रविप्रताप से सूखकर, नष्ट होत सुख पाये ।।
स्वाति-पपीहा प्रेम अनौखा, बूँद स्वाति प्यास बुझाये ।
मेघा, सागर त्याग कर , पीउ-पीउ चिल्लाये ।।
प्रेमी दशा अथाह, जा में कुछ न सुहाये ।
मोहित होकर मन हरे, दुख होय सुख पाये ।।