सोमवार, 3 अगस्त 2009



मानव मन पर नहीं है बंधन,
किस पर कब आ जाये ।
मनोभावनाएं सृजन कर,
अपना उसे बनाये ।।



कुछ न सोचे, कुछ न समझे,
कुछ का कुछ हो जाये ।
चलते-चलते जीवन पथ पर,
राह कहीं खोजाये।।


रंग न देखे, रूप न देखे,
आयु, जाति, रिस्तेदारी।
गुरू-शिष्य वैराग्य न देखे,
प्रेम है इन सब पर भारी।।


प्रेम में अंधा होकर प्राणी,
क्या कुछ न कर जाये ।
ठगा ठगा महसूस करे,
अंजाम देख पछताये ।।


जब टूट जाये विश्वास,
खो जाये होशोहवास।
जीवन वन जाये अभिशाप,
रिस्तों में आजाये खटास ।।


सब जानता इंसान ,
अनजान बन जाये ।
प्रेममयी माया के छटे,
गर्दिश में अपने को पाये ।।


कलंकित होकर समाज में,
खुली साँस न ले पाये ।
आत्मग्लानि से मायूस,
लज्जित हो शर्माये।।


गलतियाँ सभी से होतीं,
फिर से न दुहराओ ।
पश्चाताप करो उनका,
सपना मान भूल जाओ।।


संस्कृति की लक्ष्मण रेखा,
न नाको मेरे यार ।
मर्यादा से जीवन में ,
आती रहे बहार।।

सोमवार, 6 अप्रैल 2009

प्रतिस्पर्धा

धैर्य और साहस की शक्ति, बारंबार प्रणाम ।
जब-जब जो भी है मागा,सुखद हुये अंजाम ।।


प्रेम मयी मधुर मुस्कान, बंद नेत्रों में छाये ।
गदगद हुये हम आज, फ़ूले नहीं समाये ।।
ये जिन्दगी मुझे है, तुझ से बेहद प्यार ।
खुशियाँ दे, चाहे गम, करते हैं शिरोधार ।।

भाग्य-कर्म मैं प्रतिस्पर्धा, धर्म-कर्म आधार ।
जो भी होता है जीवन में, करो उसे स्वीकार ।।

कर्तव्य और ईमानदारी, अपना रंग दिखाये ।
भला करो तुम दूसरों का, आप भला हो जाये ।।

सहयोग की रखो भावना, स्वयं पहचान बनाओ ।
लोग दुआएं दें तुम्हें , प्रेम सुधा बरसाओ ।।

कुछ करने का जज्वा लेकर, घर से बाहर आए ।
नही करेगे हम आराम, मन्जिल अपनी पाये ।।

सुख-दु:ख जीवन के साथी, हमे है इन से प्यार।
दृढ इच्छा शक्ति है मन मे, होगे सपने साकार ।।

सोमवार, 16 मार्च 2009

भर्ती का मौसम


भर्ती मानसून ने आकर, ऐसा जाल फ़ैलाया ।
राजा रंक फ़ँसे जाल में, कोई न बच पाया ।।


अपने-अपनो से छूटे, रिस्ते नाते टूटे ।
जैसे किया अपराध हो कोई, घर के लोग है रूठे ।।

बिछुड गया है साया।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------
ज्यों-ज्यों दिन बढते जाते हैं, समस्यायें हैं आतीं ।
तरह-तरह के घर आयोजन, बात नहीं हो पाती ।।
रूपयों का हो रहा सफ़ाया ।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


उल्टी होती है किसी को, किसी को दस्त हैं लगते ।
कोई-कोई रातभर जगते, फिर भी जबरन हँसते ।।
घर में आकस्मक डेरा जमाया।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


लू थपेडे मार मार कर, झुलसा जाता तन।
बिन पानी के रहा न जाये, प्यासा ब्याकुल मन।।
बदली जाती काया ।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


बूँद-बूँद पानी को तरसें, पानी हुआ सफाया ।
दिनचर्यायें रूकी हैं सारी, एक वक्त है खाया ।।
गरम रितु की अदभुद माया ।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


जिसको कटे मधुमक्खी, आँखें हो जा जाये नम ।
कैसे अपने जिले में जाये, सब को सताये गम।।
अनहौनी ने पैर जमाया।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


होले-होले वक्त बीतता, हुये सभी सत्कार।
आशायें जाने की आयीं, तभी मिली दुत्कार।।
कहँ जायें अब मन पगलाया।

भर्ती मानसून ने आकर ------------------
रेन बसेरा छुट गया, छत में किया आराम।

सडक किनारे पडे हुये हैं, बस में रखा सामन ।।
ऐसा भी दिन आया ।

भर्ती मानसून ने आकर ------------------
20 दिनों की करी तपस्या, मिला एक वरदान।
अपने-अपने जिलों को जाओ, करो जमा सामन ।।
सतयुगी परिणाम आया।

भर्ती मानसून ने आकर ------------------

शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

प्रेमियों की दशा

मीरा प्रेम दीवानी, प्रेम की अलख जगाये।
त्याग करे सब राजसी, कष्ट सहे, सुख पाये ।।




वीणा बाजे राग सुनाये, नाद से मोहित मृग चला आये ।
नाद प्रेम में जाल फ़ँसे, प्रान गमा सुख पाये ।।


दीप प्रकाशित, प्रेम आकर्षित, चुम्बन लेने पतंगा आये ।
जलकर तभी भस्म हो जाये, देह त्याग सुख पाये ।।



शशि गर्व में चूर, चातक प्रेमी आश लगाये ।
शशि समझ अंगारा लिपटे, शरीर त्याग, सुख पाये ।।



उदित रवि खिलजाये कमल, प्रेमी फ़ूला नहीं समाये ।
रविप्रताप से सूखकर, नष्ट होत सुख पाये ।।



स्वाति-पपीहा प्रेम अनौखा, बूँद स्वाति प्यास बुझाये ।
मेघा, सागर त्याग कर , पीउ-पीउ चिल्लाये ।।




प्रेमी दशा अथाह, जा में कुछ न सुहाये ।
मोहित होकर मन हरे, दुख होय सुख पाये ।।