ऊची सोच हमेशा सोचो, मन में कुन्ठा मत लाओ ।
खुशहाली, सुख-समृद्धि आये, करके ऐसा दिखलाओ ।।
आशा रूपी दीप जलाकर, निराशाओं को दूर भगाओ ।
असहाय अपने को न समझो, कीचड़ में भी कमल खिलाओ ।।
दृढ़ इच्छा, शक्ति के बल पर, मन में अटल विश्वास जगाओ ।
कंकड़ से हीरा बनकर, प्रतिभा अपनी दर्शाओ ।।
आकाशगंगा, अनंत तारों में, अपना असतत्व बनाओ ।
धु्रव तारा की तरह, गगन में चमचमाओ ।।
कभी किसी पर आश्रित होकर, निर्जीव न बनजाओ ।
राख में अंगारा बन, स्वयं पहचान बनाओ ।।
पतझड़ से नीरस मौसम में, बसंत ऋतु सा बजूद बनाओ ।
चारों ओर बहारें हो, ऐसा जग में नाम कमाओ ।।
विपत्तियों से करो मुकाबला, कभी न घबड़ाओ ।
प्रकृति से लो सीख, कांटों में गुलाब खिलाओ ।।
खुशहाली, सुख-समृद्धि आये, करके ऐसा दिखलाओ ।।
आशा रूपी दीप जलाकर, निराशाओं को दूर भगाओ ।
असहाय अपने को न समझो, कीचड़ में भी कमल खिलाओ ।।
दृढ़ इच्छा, शक्ति के बल पर, मन में अटल विश्वास जगाओ ।
कंकड़ से हीरा बनकर, प्रतिभा अपनी दर्शाओ ।।
आकाशगंगा, अनंत तारों में, अपना असतत्व बनाओ ।
धु्रव तारा की तरह, गगन में चमचमाओ ।।
कभी किसी पर आश्रित होकर, निर्जीव न बनजाओ ।
राख में अंगारा बन, स्वयं पहचान बनाओ ।।
पतझड़ से नीरस मौसम में, बसंत ऋतु सा बजूद बनाओ ।
चारों ओर बहारें हो, ऐसा जग में नाम कमाओ ।।
विपत्तियों से करो मुकाबला, कभी न घबड़ाओ ।
प्रकृति से लो सीख, कांटों में गुलाब खिलाओ ।।