मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

भूत हुआ विगत वर्ष, नूतन बेला आई । 
सपरिवार आप सभी को बारंबार बधाई ।।

घन केशों में गजरा तारे, चक्षु सिंधु समान । 
तिमिर हरण चॉदनी, शशि आभा मुस्कान ।।

तारागण टूट.टूट, दे रहे विदाई । 
सपरिवार आप सभी को बारंबार बधाई ।।

हरियाली की ओढ़ चुनरिया, शवनम सतरंगी ऑचल ।
पदार्पण हो रहा, भूतल रहा मचल मचल ।

सात सुर की राग नियारी पवन चले पुरवाई ।
सपरिवार आप सभी को बारंबार बधाई ।।

सुख समृद्धि खुशहाली से, भर दे मन का उपवन ।
सुप्रभात की प्रथम किरण का करते हैं अभिनंदन ।। 

नव वर्ष के सुस्वागत में, रवि किरण उग आई ।
खुशियों की सौगातें, मन मस्ती है लाई ।।

नई चेतना, नई उमंगे, मनोभावना छाई ।

सपरिवार आप सभी को बारंबार बधाई ।।

रखो प्रभु में आस्था, सपने हो साकार ।
धन धान्य और वैभव का, पल-पल मिले उपहार ।। 

नये.नये आयामों से, छू लो नई ऊचाई ।
नव वर्ष मंगल मय हो, बारंबार बधाई ।।

सोमवार, 8 जुलाई 2013

प्रतिभा

ऊची सोच हमेशा सोचो, मन में कुन्ठा मत लाओ ।


खुशहाली, सुख-समृद्धि आये, करके ऐसा दिखलाओ ।।



आशा रूपी दीप जलाकर, निराशाओं को दूर भगाओ ।

असहाय अपने को न समझो, कीचड़ में भी कमल खिलाओ ।।



दृढ़ इच्छा, शक्ति के बल पर, मन में अटल विश्वास जगाओ ।

कंकड़ से हीरा बनकर, प्रतिभा अपनी दर्शाओ ।।



आकाशगंगा, अनंत तारों में, अपना असतत्व बनाओ ।

धु्रव तारा की तरह, गगन में चमचमाओ ।।



कभी किसी पर आश्रित होकर, निर्जीव न बनजाओ ।

राख में अंगारा बन, स्वयं पहचान बनाओ ।।



पतझड़ से नीरस मौसम में, बसंत ऋतु सा बजूद बनाओ ।

चारों ओर बहारें हो, ऐसा जग में नाम कमाओ ।।



विपत्तियों से करो मुकाबला, कभी न घबड़ाओ ।

प्रकृति से लो सीख, कांटों में गुलाब खिलाओ ।।

शुक्रवार, 14 जून 2013

किस्मत

लगता पास लक्ष है मेरे पास मैं जैसे जाऊ ।





मृगमारीचिका वह बन जाये मैं ठगा-ठगा रह जाऊ ।।

एक पल सोचू किस्मत मेरी ऐसा खेल खिलाये ।

समय नहीं है आया जब तक वह कैसे मिल पाये ।।

हार न मानू रार न ठानू कर्म किये मैं जाऊ ।

धैर्य और साहस के बल पर आगे कदम बढ़ाऊ ।।

आसानी से जो मिल जाये मना न उसमें आये ।

जाते-जाते वह मिल जाये मन फूला नहीं समाये ।।