आज की नारी, है अहंकारी, आयेगी उसकी भी बारी
बिन कुछ सोचे, समझे, कहे एक ही कहना
छोडे परिजन जैसे हमने, आप भी छोडे रहना
पति निहारे मॉ बाप को, कैसी है लाचारी
आज की ----
ईट से ईट बजा दूगी में, खाट खडी कर दूगी
खुद भी नहीं खाऊगी, तुम्हे न खाने दूगी
तरह तरह से करें प्रताडित, पति पर वह है भारी
आज की ----
इसी को कहते औरत, जो भी उसे और आये
करके छोडे वह सब, नीदे भी ले जाये
सुख चैन का समय गया, मत गई है अब मारी
आज की ----
मॉ बाप बेचारे, बिना सहारे, हाथ पॉव से हारे
भाई बहिन सब देख रहे हैं, दर दर फिरते मारे
जिस खेत को खून से सींचा, खाये उसको वारी
आज की ----
अपने लगे पराये, पराये लगे जब अपने
विधवंश है होने वाला, टूटेंगे अब सब सपने
छा गई अमर बेल की माया,जो है नाशनहारी
आज की ----
वोया पेड बबूल का, फल कहॉ से होये
बार बार पछताये, सिर धुन धुन कर रोये
सास भी कभी वहू थी, होगी अत्याचारी
आज की ----
खुशियां उनको
दोगे, तो खुशियां
तुम पाओगे
घर होगा
देवालय, दुनियां में
मान बढाओगे
उनकी जगह
अपने को देखो, होगी विजय
तुम्हारी
आज की ----
जिस घर में
मॉ बाप हैं हॅसते, ईश्वर वहॉं हैं बसते
उनके ही आशीष
से , बच्चे
कसौटी में कसते
कुल का नाम
बढाते रहते, नहीं मानते
हारी
आज की ----