शनिवार, 23 सितंबर 2017

आज की नारी


आज की नारी, है अहंकारी, आयेगी उसकी भी बारी
बिन कुछ सोचे, समझे, कहे एक ही कहना
छोडे परिजन जैसे हमने, आप भी छोडे रहना
पति निहारे मॉ बाप को, कैसी है लाचारी
आज की ----
ईट से ईट बजा दूगी में, खाट खडी कर दूगी
खुद भी नहीं खाऊगी, तुम्‍हे न खाने दूगी
तरह तरह से करें प्रताडित, पति पर वह है भारी
आज की ----
इसी को कहते औरत, जो भी उसे और आये
करके छोडे वह सब, नीदे भी ले जाये
सुख चैन का समय गया, मत गई है अब मारी
आज की ----
मॉ बाप बेचारे, बिना सहारे, हाथ पॉव से हारे
भाई बहिन सब देख रहे हैं, दर दर फिरते मारे
जिस खेत को खून से सींचा, खाये उसको वारी
आज की ----
अपने लगे पराये, पराये लगे जब अपने
विधवंश है होने वाला, टूटेंगे अब सब सपने
छा गई अमर बेल की माया,जो है नाशनहारी
आज की ----
वोया पेड बबूल का, फल कहॉ से होये
बार बार पछताये, सिर धुन धुन कर रोये
सास भी कभी वहू थी, होगी अत्‍याचारी
आज की ----
खुशियां उनको दोगे, तो खुशियां तुम पाओगे
घर होगा देवालय, दुनियां में मान बढाओगे
उनकी जगह अपने को देखो, होगी विजय तुम्‍हारी
आज की ----
जिस घर में मॉ बाप हैं हॅसते, ईश्‍वर वहॉं हैं बसते
उनके ही आशीष से , बच्‍चे कसौटी में कसते
कुल का नाम बढाते रहते, नहीं मानते हारी

आज की ----