मंगलवार, 29 जनवरी 2008

रितु


मानस जीवन रितुओं जैसा
पल पल बदला जाये ।
कभी खुशी की किरने फूटे
कभी गमो के साये ।।


ग्रीष्म रितु की धूप ढलने का
छाओं मेन करना इन्तजार ।
नीरस पतझर बाद
आती बसन्त बहार ।।

प्रकृति ने यह नियम बनाये
धूप छावँ के खेल खिलाये ।
शीत रितु की निष्ठुर ठंडी में
आशा रुपी आग जलाओ ।
कोहरे सी समस्याओं को
अपने जीवन से दूर भगाओ ।।

अंधेरा छटेगा
प्रभात प्रकाश लाये ।
वर्षा रितु के सैलाबों में
नैइया बिपत्तियों में फ़ँस जाये ।
धैर्र ना खोना मन का प्राणी
साहस जीवन नैया पार लगाये ।।

प्रभू में बिश्वाश
रखना बनाये ।
दृढ इच्छा शक्ति के बल पर
ईश्वर से है बिनय हमारी ।
जो आशायें सन्जोई हमने
वो सब हों शुभ मंगल कारी ।।


नूतन साल के शुप्रभात पर
ललित वसंत रितु है आये ।
जीवन में खुशहाली लेकर
अभिलाषा के सुमन खिलाये ।।

सोमवार, 28 जनवरी 2008

मधुवन


मधुवन मध्य मनोरम सरिता
सुन्दरता की छटा निराली
चारो ओर सलोने पर्वत
हरयाली की चादर ओढे
लगते है प्रतिभाशाली


झर-झर झर-झर झरने झरते
पवन बह रही है मदवाली
झूम रहे तरुओ से निकले
सात सुरों की राग निराली

इन्द्र धनुषी सुमन खिलकर
दसो दिशाये सुगंधित करते
लगते है बैभवशाली
भौरे गुनजन करते तिन पर
सत रंगी तितली परियां
मन को देती खुशहाली

रंग बिरंगे सुंदर पंछी
कलरव करते मनहारी
मृगो के छौने फ़ुदक-फ़ुदक कर मन हरते है
मोर पपीहा कोयल बोले
रितुओं की करते अगवानी

तरंगनि तट पर जलचर पंछी
जलधि यान से तैर रहे है
निर्मल जल में रंग रंगोली
मीने करती हटकोली
कमल कुमदनी खिले हुये है
रवि शशि की है मेहरवानी

मिल जुल कर के आगे बढना
सरिता दे रही निर्देश
जीना है तो जियो औरों को
मधुवन देता है संदेश

कामदेव रति बिचरन करते
मधहोशी मय नीचट प्याली
मधुवन मध्य मनोरम सरिता
सुन्दरता की छटा निराली

रविवार, 27 जनवरी 2008

ॐची सोच


ॐची सोच हमेशा सोचो,
मन मैं कुनठा मत लाओ !


दृढ़ इच्छा शक्ति के बल पर,
मन में अटल विश्वास जगाओ !
कंकर से भी हीरा बनकर'
प्रतिभा अपनी दर्शाओ !!
ॐची सोच हमेशा -------------------


आकाश गंगा अशंख तारो में
अपना असत्तव बनाओ !
ध्रुव तारे की तरह,
गगन मंडल में जगमगाओ !!
ॐची सोच हमेशा -------------------


विपत्तियों से करो मुकबला,
कभी ना घबराओ !
प्रकृति से लो सीख,
काटो में गुलाब खिलाओ
ॐची सोच हमेशा -------------------


कभी किसी पर आस्रित होकर
निरजीव ना बन जाओ !
राख में अंगारा बन,
स्वयँ पहचान बनाओ !!
ॐची सोच हमेशा -------------------


आसहाय अपने को ना समझो,
निराशाओं को दूर भगाओ !
आशा रुपी दीप जलाकर,
कीचड में भी कमल खिलाओ !!
ॐची सोच हमेशा -------------------


पतझर से नीरस मौसम में,
बसंत रितु सा बजूद बनाओ !
चारो ओर बहारे हो,
जग में ऐसा नाम कमाओ !!
ॐची सोच हमेशा -------------------

(मंथन)


हँस लो गा लो,
खुशी मना लो ।
मानस तन मुशकिल से मिलता,
छढ़ -छढ़ मूल्य चुकालो ।।

मनोभावनाओ का मंथन ,
जीवन सागर हलचल ।
समस्याये सी सौगाते है,
खुशियो सा अमृत जल ।।
मिल जुल इनको पा लो ।

हँस लो ----------------

जीवन दिवस समान,
उदित हुआ आया अवसान ।
पल-पल खुशियां भर दो,
अमिट रहे सदा मुसकान ।।
ऐसा ध्येय बना लो ।

हँस लो --------------------


जग में ऐसा कोई नही ,
जो मानस ना कर पाये ।
निरजीव पाषान तरासे,
सजिवता ले आये ।।
ऐसा नाम कमा लो ।

हँस लो --------------------


नूतन बर्ष की नव बेला में,
उदित प्रभा का बंदन ।
हो मन की इच्छाये पूरी,
करते है अभिनंदन ।।
मंजिल अपनी पा लो ।


हँस लो --------------------