सोमवार, 28 जनवरी 2008

मधुवन


मधुवन मध्य मनोरम सरिता
सुन्दरता की छटा निराली
चारो ओर सलोने पर्वत
हरयाली की चादर ओढे
लगते है प्रतिभाशाली


झर-झर झर-झर झरने झरते
पवन बह रही है मदवाली
झूम रहे तरुओ से निकले
सात सुरों की राग निराली

इन्द्र धनुषी सुमन खिलकर
दसो दिशाये सुगंधित करते
लगते है बैभवशाली
भौरे गुनजन करते तिन पर
सत रंगी तितली परियां
मन को देती खुशहाली

रंग बिरंगे सुंदर पंछी
कलरव करते मनहारी
मृगो के छौने फ़ुदक-फ़ुदक कर मन हरते है
मोर पपीहा कोयल बोले
रितुओं की करते अगवानी

तरंगनि तट पर जलचर पंछी
जलधि यान से तैर रहे है
निर्मल जल में रंग रंगोली
मीने करती हटकोली
कमल कुमदनी खिले हुये है
रवि शशि की है मेहरवानी

मिल जुल कर के आगे बढना
सरिता दे रही निर्देश
जीना है तो जियो औरों को
मधुवन देता है संदेश

कामदेव रति बिचरन करते
मधहोशी मय नीचट प्याली
मधुवन मध्य मनोरम सरिता
सुन्दरता की छटा निराली