लगता पास लक्ष है मेरे पास मैं जैसे जाऊ ।
मृगमारीचिका वह बन जाये मैं ठगा-ठगा रह जाऊ ।।
एक पल सोचू किस्मत मेरी ऐसा खेल खिलाये ।
समय नहीं है आया जब तक वह कैसे मिल पाये ।।
हार न मानू रार न ठानू कर्म किये मैं जाऊ ।
धैर्य और साहस के बल पर आगे कदम बढ़ाऊ ।।
आसानी से जो मिल जाये मना न उसमें आये ।
जाते-जाते वह मिल जाये मन फूला नहीं समाये ।।
मृगमारीचिका वह बन जाये मैं ठगा-ठगा रह जाऊ ।।
एक पल सोचू किस्मत मेरी ऐसा खेल खिलाये ।
समय नहीं है आया जब तक वह कैसे मिल पाये ।।
हार न मानू रार न ठानू कर्म किये मैं जाऊ ।
धैर्य और साहस के बल पर आगे कदम बढ़ाऊ ।।
आसानी से जो मिल जाये मना न उसमें आये ।
जाते-जाते वह मिल जाये मन फूला नहीं समाये ।।