सोमवार, 16 मार्च 2009

भर्ती का मौसम


भर्ती मानसून ने आकर, ऐसा जाल फ़ैलाया ।
राजा रंक फ़ँसे जाल में, कोई न बच पाया ।।


अपने-अपनो से छूटे, रिस्ते नाते टूटे ।
जैसे किया अपराध हो कोई, घर के लोग है रूठे ।।

बिछुड गया है साया।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------
ज्यों-ज्यों दिन बढते जाते हैं, समस्यायें हैं आतीं ।
तरह-तरह के घर आयोजन, बात नहीं हो पाती ।।
रूपयों का हो रहा सफ़ाया ।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


उल्टी होती है किसी को, किसी को दस्त हैं लगते ।
कोई-कोई रातभर जगते, फिर भी जबरन हँसते ।।
घर में आकस्मक डेरा जमाया।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


लू थपेडे मार मार कर, झुलसा जाता तन।
बिन पानी के रहा न जाये, प्यासा ब्याकुल मन।।
बदली जाती काया ।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


बूँद-बूँद पानी को तरसें, पानी हुआ सफाया ।
दिनचर्यायें रूकी हैं सारी, एक वक्त है खाया ।।
गरम रितु की अदभुद माया ।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


जिसको कटे मधुमक्खी, आँखें हो जा जाये नम ।
कैसे अपने जिले में जाये, सब को सताये गम।।
अनहौनी ने पैर जमाया।
भर्ती मानसून ने आकर ------------------


होले-होले वक्त बीतता, हुये सभी सत्कार।
आशायें जाने की आयीं, तभी मिली दुत्कार।।
कहँ जायें अब मन पगलाया।

भर्ती मानसून ने आकर ------------------
रेन बसेरा छुट गया, छत में किया आराम।

सडक किनारे पडे हुये हैं, बस में रखा सामन ।।
ऐसा भी दिन आया ।

भर्ती मानसून ने आकर ------------------
20 दिनों की करी तपस्या, मिला एक वरदान।
अपने-अपने जिलों को जाओ, करो जमा सामन ।।
सतयुगी परिणाम आया।

भर्ती मानसून ने आकर ------------------