सोमवार, 6 अप्रैल 2009

प्रतिस्पर्धा

धैर्य और साहस की शक्ति, बारंबार प्रणाम ।
जब-जब जो भी है मागा,सुखद हुये अंजाम ।।


प्रेम मयी मधुर मुस्कान, बंद नेत्रों में छाये ।
गदगद हुये हम आज, फ़ूले नहीं समाये ।।
ये जिन्दगी मुझे है, तुझ से बेहद प्यार ।
खुशियाँ दे, चाहे गम, करते हैं शिरोधार ।।

भाग्य-कर्म मैं प्रतिस्पर्धा, धर्म-कर्म आधार ।
जो भी होता है जीवन में, करो उसे स्वीकार ।।

कर्तव्य और ईमानदारी, अपना रंग दिखाये ।
भला करो तुम दूसरों का, आप भला हो जाये ।।

सहयोग की रखो भावना, स्वयं पहचान बनाओ ।
लोग दुआएं दें तुम्हें , प्रेम सुधा बरसाओ ।।

कुछ करने का जज्वा लेकर, घर से बाहर आए ।
नही करेगे हम आराम, मन्जिल अपनी पाये ।।

सुख-दु:ख जीवन के साथी, हमे है इन से प्यार।
दृढ इच्छा शक्ति है मन मे, होगे सपने साकार ।।