बुधवार, 20 जुलाई 2011
शुक्रवार, 8 जुलाई 2011
किरण
वतन की खातिर, जज्बा मेरा,
पूरा आज शबाब पर ।
विश्वकप मुट्ठी में मेरे,
तिरंगा को शिरोधार्य कर ॥
जहॉ-जहॉं है भारतवासी,
नशे में चकनाचूर ।
देशभक्ति का जोश है दिल में,
लेते मजा भरपूर ।।
विश्व विजेता बनकर हमने,
परचम है लहराया ।
अर्द्धनंगा हू फिर भी मैनें,
देश का मान बढाया ॥
कन्या कुमारी-काश्मीर तक,
गया आज उन्माद भर ।
वतन की खातिर, ....................................
चाहे घूमो रेल में,
चाहे घूमो यान ।
फुटपाथों पर बैठकर,
बढ़ा सकते सम्मान ॥
नेताओं पर नहीं भरोसा,
घोटाले करते रोज ।
चाट रहे अधिकारी तलवे,
भ्रष्टाचारी नूतन करते खोज ॥
देख-देख देश की हालत,
आंखे गयीं हैं भर ।
वतन की खातिर, ....................................
राजनेता अधिकारी मिलकर,
रचते नये षड यंत्र ।
जातिवाद, क्षेत्रों में बॉंटे,
पंगू बना लोकतंत्र ॥
आश लगाये मैं हू बैठा,
सोचू बारंवार ।
किरण उदित हो जनमानस में,
दूर करे भ्रष्टतंत्र अंधकार ॥
क्रान्ति विश्व विजेता जैसी
अलख जगाओ घर-घर ।
वतन की खातिर, ....................................