शनिवार, 9 फ़रवरी 2008

आशा


माँझी हो न निराश,
जीवन सागर में उठते ज्वार ।
प्रभु में आशा रख, विश्वास,
खेता चल पतवार ।।



सुख-दुख का मेल है,
प्रकृति का खेल है।
खेलता चल इसे,
हिम्मत न हार ।।
जीवन सागर----------------


शशि हो न उदास,
गृहण के बाद आये पूनम की रात ।
हर रजनी के अंत में, आता सदा प्रभात
वक्त का कर इंतिजार।।
जीवन सागर --------------

क्रांति के बाद ही,
होता सदा सुधार।
पतझर के बाद आये,
बसंत बहार।।
जीवन सागर---------------

दृढ हो संकल्प,
अटल रख विश्वास।
धैर्य और साहस से,
सिंधु करेगा पार ।।
जीवन सागर----------------