मंगलवार, 12 फ़रवरी 2008

प्रेमकस्तूरी



  • मनुवा प्रेम सुधा वर्षा ले ।
    मीठी वाणी बोल हमेशा,
    प्रिय बचन बतला ले ।।
  • मनुवा प्रेम--------------------

    राग, व्दवेश हलाहल पीकर,
    नीलकँठ बन घृणा पचा ले ।
    छण भंगुर दो दिन का जीवन,
    इसको अमर बना ले ।।
  • मनुवा प्रेम--------------------


    मानस तन मुशिकल से मिलता,
    पल-पल मूल्य चुका ले ।
    प्रेमकस्तूरी बसी हृदय में,
    ढूढ रहे मद वाले ।।
  • मनुवा प्रेम--------------------

    अहंकार जैसे कीचड में,
    क्षमा-दया का कमल उगाले ।
    प्रीत मणि की रीत निराली,
    लोह लगे सोना बना ले ।।
  • मनुवा प्रेम--------------------


    कुविचार मन से त्यागकर,
    सदाचार अपना ले ।
    मनोयोग शक्ति के बल पर,
    जो चाहे वो पा ले ।।
  • मनुवा प्रेम--------------------


    करम तुँ ऐसे कर जा प्रणी,
    नीचट प्रेम बना ले ।
    विछरडें पर जब यादें आयें,
    दुनियाँ नीर बहा ले ।।
  • मनुवा प्रेम--------------------