प्रेमकस्तूरी
- मनुवा प्रेम सुधा वर्षा ले ।
मीठी वाणी बोल हमेशा,
प्रिय बचन बतला ले ।।
- मनुवा प्रेम--------------------
राग, व्दवेश हलाहल पीकर,
नीलकँठ बन घृणा पचा ले ।
छण भंगुर दो दिन का जीवन,
इसको अमर बना ले ।।
- मनुवा प्रेम--------------------
मानस तन मुशिकल से मिलता,
पल-पल मूल्य चुका ले ।
प्रेमकस्तूरी बसी हृदय में,
ढूढ रहे मद वाले ।।
- मनुवा प्रेम--------------------
अहंकार जैसे कीचड में,
क्षमा-दया का कमल उगाले ।
प्रीत मणि की रीत निराली,
लोह लगे सोना बना ले ।।
- मनुवा प्रेम--------------------
कुविचार मन से त्यागकर,
सदाचार अपना ले ।
मनोयोग शक्ति के बल पर,
जो चाहे वो पा ले ।।
- मनुवा प्रेम--------------------
करम तुँ ऐसे कर जा प्रणी,
नीचट प्रेम बना ले ।
विछरडें पर जब यादें आयें,
दुनियाँ नीर बहा ले ।।
- मनुवा प्रेम--------------------