रविवार, 17 फ़रवरी 2008

हरित क्राँति


कृषि प्रधान देश है अपना,
मेरा देश महान ।
सरकारें हैं आती- जाती,
नहीं किसी को ध्यान ।।
हरित क्राँति सत्-सत् प्रणाम ।

खून-पसीना सीच-सीच कर ,
देता जीवन दान ।
रूखी-सूखी रोटी खाकर,
पैदा करता धान्य ।।
दिन-रात करे तू काम ।

हरित क्राँति सत्-सत् प्रणाम ।

ऊबड-खाबड पडी धरा को,
तू उपजाऊ बनाये ।
कुंआ खोद, मेहनत करके ,
भगीरथी बहाये ।।
सुबह से लेकर शाम ।

हरित क्राँति------------------

उत्तम कोटी बीज डालकर,
चला रहा है हल ।
ऊर्वरा शक्ति बढाने
खाद डालता पल-पल ।।
कीट नाशकों का अन्जाम ।

हरित क्राँति------------------

बच्चों सा करते संरक्षण,
अच्छी फसल उगाते ।
कली से बनता फूल,
फूल से फल बन जाते ।।
आशा है, फसलें भरें गोदाम ।

हरित क्राँति------------------

कभी है पडते ओले, सूखा,
कभी बरसता भारी पानी ।
साहूकारों व बैंकों से
लेकर कर्जा करें किसानी ।।
जीना हुआ हराम ।

हरित क्राँति------------------

व्याज देते-देते,
वक्त बीतता जाता ।
मूल चुका नहीं पाते,
खेत-मकान सभी बिक जाता ।।
होता बुरा अन्जाम ।

हरित क्राँति------------------

जागो कृषक जवानो,
नूतन जन चेतना जगाओ ।
तिरंगे के हरे रंग की लाज,
आप के हाथ इसे बचाओ ।।
आश लगाये देख रहा आवाम ।

हरित क्राँति------------------

कृषक नीति में कर संशोधन ,
उध्योग का दर्जा दिलाना ।
विदेशी अन्न की नहीं जरूरत ,
स्वदेशी अन्न उगाना ।।
फिर आये नीचट परिणाम ।

हरित क्राँति------------------