
दिल अपना, मन पराया हो जाता है ।
ये कैसा अनुपम नाता, मन में प्रीत जगाता ।।
ये कैसा अनुपम नाता, मन में प्रीत जगाता ।।
पहले होती है तकरारे, फिर हो जाता प्यार है ।
फिर होता दीवानापन, जिसकी दोस्ती मिशाल है ।।
कहां से आये कहां जाना, किस्मत का ये खेल है यार ।
कितना पावन स्थल यह, जहां पनपता अपना प्यार ।।
सुख दुख में हम साथ रहे, नाते हुये पुराने ।
साथ में रहकर कुछ नही जाने, जुदा हुये तब जाने ।।
रात ना देखें दिन ना देखें, यादें आना जाना ।
तनहाई में यादें संजोयें, प्रेम में मन बौराना ।।
नेत्रों से ओझल होते ही, दिल में आन समाना ।।