बुधवार, 13 फ़रवरी 2008

दुर्घटना


देखा मंजिर ऐसा,
हो गया हैरान ।
कहीं पडीं थीं लाशें
तडफ रहे इंसान ।।
देखा मंजिर------------
चीख-पुकारें चारों ओर,
कराह रहे मचा है शोर ।
यह विभित्स करूणाई नजारा,
ढूढ रहे थे कोई सहारा ।।
चले थे नूतन सपने संजोने,
होनी से अनजान ।
देखा मंजिर-------------------
नन्हें-नन्हें बच्चे बिलखें
माँ-बाप का उठा है साया ।
किसी के कुल के दीपक बुझ गये,
बहिनों ने सिन्दूर गमाया ।।
कुल के कुल , उजड गये ,
घर के घर हुये बीरान ।
देखा मंजिर--------------------
हँसी-खुशी से चले थे घर से ,
लेकर अभिलाषायें मन में ।
कैसे -कैसे खुआव थे देखे ,
जो अधूरे रह गये, पल भर में ।।
क्या था करना , हुआ क्या ,
छोड गये अपना जहाँन ।
देखा मंजिर--------------------
हाथ - पैर के टुकडे हो गये ,
फंसे पडे वाहन बेहोश ।
सिसक-सिसक के साँसे लेते ,
सोते जाते मौत अगोश ।।
खून से लथपथ विकृत काया ,
चित्त भंग हुये भूले पहचान ।
देखा मंजिर--------------------

तेजी की रफ़्तार के युग में ,
धैर्य से चलना सीखो ।
दुर्घटना से देर भली,
इस राह पर चलना सीखो ।।
भागम भागी , लोभ में पड कर ,
यह होता अंजाम ।