सोमवार, 18 फ़रवरी 2008

सूखा


नओ बरस लैकें आओ,
नयी-नयी सौगात ।
शनीदेव की बक्र है दृष्टि,
उलट-पलट मात ही मात ।।

बीज बोव बरसो न पानी,
दुविधा में आ गओ इन्सान ।
बीज बुबाई,रकम गमाई,
निर्धन हो गयो किसान ।।
अब के बरस न भई बरसात ।

नओ बरस----------------------

कछू तो सोचो कछू भओ है,
खेती किसान की करतार ।
बिन खेती के घरी न बीते,
ऊपर से मँहगाई मार ।।
भोतई बिगड गये हालात ।

नओ बरस----------------------

बसंत भओ है पतझड,
रितुअन ने पल्टी खाई ।
सूके तेसू मौर आम के ,
हरे रूख की सामत आई ।।
देखो अखियन से नही जात ।

नओ बरस----------------------

नदियाँ नारे, कुआँ तलैयां,
पानी बचो है नईयाँ ।
दर-दर भटक रहे है सारे ,
किलपत भूखी गईयाँ ।।
अब काँ सें कैसे है खात ।

नओ बरस----------------------


पानी ढूढत-ढूढत,
जीव जन्तु है आ रये ।
घात लगायें बैठे शिकारी,
मार-मार कें खा रये ।।
जीव-जन्तु हो रये समाप्त ।

नओ बरस----------------------

हरी-भरी फसलन हाँ देखो,
मन मस्ती में छात ।
सूनो खेत देख कें भईया,
पाँव धरे नहीं जात ।।
बैठे धरें करम पे हात ।

नओ बरस----------------------

छोटे-छोटे बच्चे बिलखें,
फूट-फूट कें रो रये ।
मेहनत कश मजदूर किसान
देख कें आपा खो रये ।।
धरें सरकार हात पे हात ।

नओ बरस----------------------

भूखे प्यासे ढोर रभा रये ,
देख कें रो-रो आवे ।
येसो कभऊ नहीं है देखो ,
लगत कहाँ भग जावे ।।
कैसे कटै अन्धेरी रात ।

नओ बरस----------------------

जनम-जनम रिस्ते नाते,
पानी नें बिसराये ।
लोकलाज सब भूल भाल कें,
निकर घरन सें आये ।।
पानी कैंसें है मिल पात ।

नओ बरस----------------------

कुआँ पम्प और खाद बीज हाँ ,
बैंक सें कर्जा लओ ।
ब्याज पै ब्याज लगो जब ई पै ,
जुर कें मुलक्को भयो ।।
अब काँ सें कैसें चुकात ।

नओ बरस----------------------

जिनके कुआँ में हतो तो पानी ,
उन नें बोई चना उनारी ।
जाडो भओ लग गयो तुसार ,
फसल भई सब कारी ।।
बिजली काट दई सब शासन नें अब की सें हैं कात ।

नओ बरस----------------------

बिजली पानी कछू है नईयाँ,
फिर भी बिल हैं आये ।
जुर कें रूपया इतनो हो गयो,
बसूली सरकार कराये ।।
सुनत नहीं कोऊ की बात ।

नओ बरस----------------------

सरकार करो घोषित सूखा ,
सूखा राहत आओ।।
लाँच खोर अफसर नेतन नें,
मिल बाट कें खाओ ।।
बैठे हते लगायें घात ।

नओ बरस----------------------